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IF WE POSITIVE CHANGE HAPPEN, INDIA WILL BE CHANGE ENTIRELY AS SOON AS POSSIBLE WITH OUR LITTLE EFFORTS

Little our positive efforts can give good change in the world.
Little our positive efforts can give good change in the world.



हमारे समाज में डराया ,धमकाया जाता है लड़कियों को कि  यदि आपके साथ कुछ गलत हो बताओ नहीं छुपाओ  बेइज्जती हो जाएगी ,यदि समाज में आप  ठगे जाते लोग -आदमी हो या महिला अपनी बात छुपाते है ताकि बेइज्जती ना हो जाए ,हमारा समाज  हमे गलत से लड़ना ना सीखाता  है क्या वो गलत चीजों को प्रोमोट करना करना चाहता है ?
ऐसे कंही सवाल-जवाब आते है मेरे मन में भी क्यूंकि छुपाना से गलत लोगो को बढ़ावा मिलता है | इसलिए रेप पर हम कुछ नहीं कर पाते क्यूंकि वो हो चला होता पर रेपिस्ट को परेशान करना चाहिए एक लड़की जो बचपन से सुंदर बनो नाकि मजबूत ,बहादुर नाकि फाइटर फिर एक दम  उपेक्षा की जाती वो अपना सुरक्षा कर पाए ये कहा का इन्साफ उस लड़की के साथ | आज कल जंहा  गर्लफ्रेंड सम्बन्ध बनाते लेकिन दुनिया कोई नहीं पता इसलिए वो सही लेकिन जो कुछ भी नहीं करती ,सिंपल सीधी-साधी लड़की है यदि वो कंही रेप का शिकार हो जाती ऐसे व्यवहार किया जाता जैसे उसने ही बुलाया ही सबको की मेरे साथ कुछ गलत करो मै भूखी हु किसी के हवश की ,एक विधवा भी इतनी जलील नहीं की जाती जितना की रेप की विक्टिम | 

शरीर छिना गया रेप हुआ उसका पर  उसने खुद अपना इमान ,इज्जत नहीं दी किसी को फिर क्यों जलील किया जाता समाज की नजरो और रिश्तो में उसे|
क्या यही अपना भारत है ?जोकि संस्कृति की लम्बी-चौड़ी बात करता | 

कभी भी छुपाना किसी बात का सलूशन नहीं बल्कि उसके खिलाफ एक्शन समय पर लेना सलूशन है जोकि हमारा समाज इस बात को नहीं प्रमोट करता क्या वो गलत चीजों से खुश है या हमारे समाज में जागरूकता की कमी है ? जोकि गलत बातो के तरफ देर में आवाज उठाता और एक्शन लेता | 

समाज इसलिए होता है ताकि आपका साथ दे जब आपके साथ गलत हो रहा हो लेकिन भारत में सती  प्रथा ,पर्दा प्रथा ,बाल विवाह था ऐसे कई गलत प्रथा थी जोकि हमारे ग्रंथ  भी सभी ऐसी गल्त  प्रथा को प्रमोट नहीं करते जोकि धर्म की  आड़ ले ये बुरे कर्म होते आये है समाज में, क्या इससे समाज और भारत का नाम नहीं खराब होता क्या ?  पहले लड़किया अपने पसंद के छोटे -बड़े कपड़े पहनती | जोकि हम चित्रों में भी देख सकते है पहले हमारे काव्य काल में भी देख सकते है लड़किया अपने पसंद के लड़के से शादी करती चाहे अपनी जात ,वर्ण अलग है जैसे द्रोपती से शादी करने के लिए कर्ण ,अर्जुन सब आये ,कर्ण शूद्र और अर्जुन क्षत्रिय था | लेकिन सबको एक-दूसरे से बिना भेदभाव से शादी करने की अनुमति थी |  इस प्रकार श्री कृष्ण ने खुद अपनी बुआ की लड़की को भगाया प्रेम-विवाह करने हेतु तो जो आज का समाज और 1700 ईस्वी का समाज फिर क्यों इतनी क्रूरता दिखाता फिर किस धर्म और कौन सा पुण्य कर्म था लड़कियों को जलाना ,बेकद्री करना ,पर्दा  में रखना ,बाल -विवाह करना | क्या ये सब भारत की क्रूरता,बेकद्री नहीं है लड़कियों के प्रति, क्या भारत लड़कियों को फालतू और बोझ समझता है फिर कैसी लड़कियों की इज्जत हमारे भारत में जब हर जगह उसे बोझ मानना और चंद  त्योहारों पर महिलाओ ,लड़कियों की इज्जत करना ये तो मरने से पहले बकरी की इज्जत होती है पूजा होती है वैसे ही लड़कियों की चंद त्योहारों पर पूजा करना हुआ फिर कुछ बकरी के समान नहीं है जोकि हलाल की वस्तु मानी गयी है  क्या यही भारत है हमारा ?

समाज में दहेज आदि लड़किया क्यों देती क्यों उसे लूटने के लिए ,बेकद्री करने और बोझ मानने  और मजबूर ,आशय बनाने के लिए क्यों इतनी रीतियां बनाई गयी जिससे वह  अपने घर,मायके के लिए बोझ की वस्तु मानी जाती और मजबूर बाप भी असह्य होकर इन सब रीतियां का पालन कर बिक जाता है सब लुटा कर भी कभी उसकी कद्र नहीं करा पाता  क्यूंकि वो लड़की का बाप है या पाप का बाप है जो इतनी बेइज्जती सहता  ,सहाय किया जाता क्या पाप किया उसने जो ऐसा व्यवहार होता | क्यों नहीं लड़का-लड़की अपने पैसो से शादी कर खुद कमाकर अपना खुशहाल जीवन क्यों नहीं जीने दिया जाता ?क्यों फालतू की रीतियाँ बना लड़कियाँ जलील की जाती ? क्या महिला गंदी लगती है भारत को या उसके अधिकार और मन-सम्मान पाप है भारत के लिए ?
फिर हम क्या राक्षस है जो परेशान,जलील करते ,जलाते महिलाओ ,लड़कियों को फिर राक्षस और मानवता में क्या अंतर् रहा जब हमारे कर्म राक्षस जैसे हो ?

क्या भारत का समाज की सोच ,कर्म ,व्यवहार कभी नहीं सुधरेगा  क्या कभी ?क्या हम लड़कियों के प्रति भारत इस तरह ही निरकुंश और क्रूर रहेगा ?क्या भारत में भेदभाव-वर्ण  युंह ही रहेगा और अपना  भारत का विकास का स्तर युंह ही घिराता रहेगा |?क्या लड़कियां और समाज के लोग जोकि समाज में ही शर्म और धर्म आदि बेवजह किसी ने किसी बहाने से क्या युंह ही क्रूरता  का शिकार होते रहेंगे खुद हम समाज के लोग  ?

जय हिन्द जय भारत और हमने ही भारत को सुंदर ,विकसित बनाना है हम भले ही फोजी  नहीं बन सकते, ना बनना चाहते पर हम अपने सही अच्छे बदलाव से दुनिया विकसित ,खुशहाल ,उन्नत जरूर बना सकते है |
हम अपने छोटे-छोटे प्रयास  से हर प्रयास से  ही हम बड़े बदलाव और खुशियों को जन्म देने देने में सहायक होंगे  |